उन्नाव बाला जी सूर्य मंदिर दतिया त्वचा सबंधित रोग का होता है, उपचार !



एमपी नाउ डेस्क


धर्म/ आस्था/ संस्कृति/ हिंदू मान्यता

आज हम प्रदेश के दतिया शहर जिसे कभी दिलीप नगर और दैत्यनगर भी कहा जाता था से 17 किलोमीटर दूर स्थित उन्नाव के सूर्य मंदिर  के चमत्कारों की चर्चा करेंगे। उन्नाव के बालाजी मंदिर का प्राचीन नाम बह्यन्य देव मन्दिर है। मन्दिर का निर्माण गुर्जर कुषांण वंशीय महाराजाधिराज श्रीमान कनिष्क के समय नरेश रावराजा ने करवाया था । मन्दिर में  प्रमुख्यत: सूर्य की पत्थर की मूर्ति है जो एक ईंट से बने चबूतरे पर स्थित है जिस पर काले धातु की परत चढी हुई है। 

चढ़ावा भी है खास

उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे मध्यप्रदेश के दतिया जिले से 17 किलोमीटर दूर पूर्व दक्षिण दिशा में उनाव के बालाजी सूर्य मंदिर परिसर में चढ़ावे में चढ़ाए गए घी से कुँए भरे पढ़े हुए है ।

आनेवाले श्रधालुओं के द्वारा इतनी मात्रा मे घी चढ़ाया जा चूका है कि यहाँ इस चढ़ावे में चढ़ाए जानेवाले घी को रखने हेतु कुओं का निर्माण करवाना पड़ा ।

 धारणा ही कि मनोकामना पूर्ति के लिए श्रृद्धाजनों द्वारा चढ़ाए जाने वाले घी में यदि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी हो तो  उन्हें शाप तक लग सकता है।

 घी के कुएं का भंडारण


 बालाजी सूर्य मंदिर में नित्य प्रति अखंड ज्‍योति  प्रज्जवलित करने  के लिए आठ किलो घी का उपयोग किया जाता है, जबकि एक दिन में चढ़ावा जरूरत से ज्यादा का होता है । फिर क्या कहते है न देने वाला जब भी देता देता छप्पर फाड़ के तो चढ़ावा चढ़ता गया भंडारा बढ़ता गया। मंदिर के पुजारी जी का कहना है कि भंडारण के लिए पहले लोहे के टैंक की तरह 7 कुआ बनवाया गया था पर जब यह पूरी तरह भर गया तो  मिट्टी के प्राचीन  2अन्य कुवा का निर्माण कराया गया।
 
पीड़ितों के असाध्य रोग से मुक्ति कराते हैं बालाजी भगवान

प्रभु बालाजी मंदिर के बारे में कई गाथाएं हैं, कहा जाता है कि दतिया के तत्कालीन राजा को कुष्ठ रोग हो गया था किसी बड़े महात्मा ने उन्हें प्रतिदिन 2 माह तक उन्नाव के तालाब में सूर्योदय के समय स्नान करने को कहा। महात्मा के कहे अनुसार राजा ने बिना क्रम तोड़े प्रतिदिन स्नान किया और वह स्वस्थ हो गए तदुपरांत राजा नेहा भव्य मंदिर का निर्माण कराया जो आज भी खड़ा है।


मंदिर के तहखाने सोने जवाहरात से नही बल्की घी से भरे है………….
लगभग 500 से भी अधिक वर्ष तक लगातार भक्तो द्वारा घी चढ़ाए जाने से यहां घी मंदिर की स्थाई संपत्ति बन चुकी है। और वजह है भक्तो की आस्था और उनकी समस्या का निवारण। घी को सहेजकर रखने के लिए मंदिर के तहखानों के अलावा हर साल यहां पक्की हौदियां भी बनाईं जाती हैं।


किंवदंती यह भी 

-घी को लेकर किंवदंती है कि भगवान भास्कर को चढ़े घी का उपयोग जिसने भी करने का प्रयास किया। वह चर्म रोग से पीड़ित हो गया। तो अगर आप थोड़े बहुत चटोरे है या सिर्फ प्रसाद प्राप्ति के लोभन मैं हाथ साफ करने की सोचने वाले है तो हमारा काम है आपको पहले ही सावधान करने का।https://www.mpnow.in/2023/03/Culture%20.html
 


मंदिर परिसर की सुंदरता आज भी बरकरार

लगभग 400 वर्ष से भी पुराना यह मंदिर एमपी के दतिया व यूपी के झांसी से महज 17km की दूरी में आज भी अपनी सुंदरता को बरकरार रखे हुए हैं मंदिर के सामने पहुंज नदी अवस्थित है मान्यता यह भी है कि अगर आपको किसी भी प्रकार का त्वचा रोग है तो रविवार को सूर्योदय के समय नदी में स्नान करके  सूर्य भगवान को जल अर्पित कर आप त्वचा रोग से मुक्त हो सकते हैं  तो बेहतरीन होगा कि आप दुनिया भर के कॉस्मेटिक्स पर खर्चा करने के बजाय अपनी मनोकामना एक बार उन्नाव के बालाजी सूर्य मंदिर में जरूर लाएं।

लेख शानू साहू

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