SHUBHAM MOVIES REVIEW- डेली सोप का भूत ऐसा मर्द हो गए परेशान, कैसे बचेंगी जान!



एमपी नाउ डेस्क



SHUBHAM MOVIES REVIEW- देश का ऐसा कोई भी कोना नही बचा होगा, जहॉ महिलायें बैठकर अपने पंसदीदा डेली सोप को न देखती होगी। चाहे फिर वह उत्तर भारत हो या फिर दक्षिण भारत महिलाओं के अन्दर घर- घर की कहानी जैसे टीवी सीरियल की लोकप्रियता कितनी अधिक हैं यहां बताने की जरुरत शायद ही हो लेकिन क्या हो जब इन टीवी शो को देखने के लिये मृत महिलायें जिंदा महिलाओं के शरीर के अन्दर प्रवेश करने लग जाऐं।

डर लगेगा यहां हंसी आयेगी कुछ ऐसा ही सोचकर तेलगु फिल्म निर्माता नें एक हॉरर कॉमेडी जॉनर फिल्म 'शुभम' नाम की एक फिल्म का निर्माण किया। इस फिल्म को बीते दिनों 9 मई 2025 को डिज्नी हॉटस्टार में ओटीटी रिलीज किया गया है। फिल्म का निर्देशन प्रवीण कंदरेगुला ने किया है तो वही फिल्म की निर्माता साउथ की खुबसुरत अभिनेत्री संमाथा रुथ प्रभु हैं। इसके साथ ही एक्ट्रेस ने इस फिल्म में गेस्ट अपीयरेंस भी दिया है.


 मेकर्स (फ़िल्म निर्माता) जैसा सोचें ठीक वैसा ही होने लग जाये तो फिर फिल्में फ्लॉप होना ही बन्द हो जायेगी इस फिल्म के साथ भी ऐसा ही होता प्रतीत हुआ मेकर्स ने सोचा कि हम ऐसी फिल्म बनायेगें और दर्शक जमकर हंसेगा और डरेगा भी लेकिन ऐसा शायद ही हो, फिल्म अपने दोंनो ही लक्ष्य में असफल होती दिखती है. 

न फिल्म ठीक से डरा पाती है ना ही हंसा पाती है। फिल्म के हाइप के लिये संमाथा रुथ प्रभु का गेस्ट अपीयरेंस वाला भूत पकड़ने वाली जादूगरनी का किरदार भी फिल्म के लिये कुछ ख़ास कमाल नही दिखा पाता है। 

तेलगु फिल्म शुभम की कहानी शुरु होती है एक केवल ऑपरेटर श्रीनु (हर्षित मल्लीरेड्डी) की शादी से जहां शादी के बाद सुहागरात वाले दिन उसकी पत्नी अपने पति को छोड़कर टीवी ऑन करके एक डेली सोप जन्मनाला बंधम् (शुभम) देखने बैठ जाती है, और जब पति के कई बार पुकारने के बाद भी जब नही सुनती तो वह गुस्से में आकर टीवी बन्द कर देता है टीवी बन्द होने से पत्नि बुरी तरह व्यवहार करते हुये कुछ इस प्रकार सुपरनैचुरल हरकत करती है, जिससे पति घबरा जाता।


ऐसी घटना पुरे गांव के हर घर की महिलाओं के साथ होती है, जो पुरुष अब तक अल्पा मैन होने की डींगे मारा करते थे। वह अब अपनी ही पत्नियों से डरे औऱ सहमें घुम रहे हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिये भूत भागाने वाली जादूगरनी माया माताश्री (संमाथा रुथ प्रभु) के पास पंहुच जाते है, गांव के सभी मर्दो की समस्या किस प्रकार माया माताश्री (संमाथा रुथ प्रभु) हल करती है इसके लिये आपकों फिल्म देखनी पड़ेगी।

फिल्म बेशक मनोंरजक न हो लेकिन यह फिल्म एक गंभीर समाजिक मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित करती है, जो पितृसत्तामक सोच के ऊपर हल्के पुल्के तरीकें के एक व्यंग्य करती है। अल्पा मैन थ्योरी को लेकर जो सोच समाज के अंदर फैली हुई है, उसमें सवाल खड़ा करती है।

अरविंद साहू (AD) Freelance मनोरंजन एंटरटेनमेंट Content Writer हैं जो विभिन्न अखबारों पत्र पत्रिकाओं वेबसाइट के लिए लिखते है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी सक्रिय है, फिल्मी कलाकारों से फिल्मों की बात करते है। एशिया के पहले पत्रकारिता विश्वविद्यालय माखन लाल चतुर्वेदी के भोपाल कैम्पस के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के छात्र है।

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