एमपी नाउ डेस्क
Sarpanch Sahab Webseries Review: सरपंच साहब प्रसार भारती के ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म में बीते दिनों 30 अप्रैल 2025 को स्ट्रीम हुई, पूरी सीरीज की शूटिंग छिंदवाड़ा में हुई है तो ऐसे में छिंदवाड़ा के लोगों की सीरीज की लेकर विशेष रुचि है। कई लोगों ने मुझे सीरीज देखने के लिए सजेस्ट किया था...पर उनकी बातों से प्रभावित नहीं हुआ लेकिन जब इंडिया टीवी की वेबसाइट के लिए हिमांशी तिवारी ने सीरीज को लेकर एक आर्टिकल लिखा और अतिशयोक्ति में लेख का टाइटल "न 'पंचायत' और न ही 'दुपहिया', ओटीटी पर इस 7 एपिसोड वाली सीरीज ने किया धमाका" लिखा तो बिना लेख पढ़े सीधे सीरीज को देखने पहुंच गया। सीजन वन में कुल सात एपिसोड है जिसमें प्रत्येक एपिसोड में ओवरऑल ड्यूरेशन 30 मिनट है।
सीरीज में कई दृश्य पंचायत और दोपहिया जैसी सीरीज से मिलते जुलते दिखेंगे यानि कही न कहीं या सीरीज पिछली रिलीज़ ग्रामीण परिवेश की सीरीज से प्रेरित है। कहानी का हीरो सरपंच का पुछलगा संजू (अनुद सिंह ढाका) के इर्द गिर्द घूमती है जो जी जान से सरपंच की चमचई में पिला पड़ा है लेकिन उसके और सरपंच के बीच में सरपंच का लेफ्ट हैंड ललन (विजय पांडे) नाम का रोड़ा है जो अक्सर संजू को नीचा दिखाने में लगा रहता है।
इन दोनों किरदारों की नोंक झोंक में संजू सरपंच (विनीत सिंह) से कटने लगता है सीरिज के अंत आते- आते तक उसका विरोधी बन जाता है। यानि की अब साफ़ हो गया कि सीरीज का विलन सरपंच और हीरो संजू। हीरो है तो उसका कोई गोल होगा जिसे वह अचीव करना चाहेगा और जब कोई किसी चीज को अचीव करने निकलेगा तो उसके राहों में रोड़े होगें तो सब आपको इसमें खिचड़ी देखने को मिल जाएगी।
सीरीज की सबसे बड़ी कमज़ोरी इसका नाम ही है जी हां सरपंच साहब चूंकि सीरीज का सरपंच, सरपंच कम किसी विधानसभा का विधायक लगता है जो कभी भी किसी को उठाकर मार देता है या मरवा देता है लेकिन मजाल हो पुलिस पूरी सीरीज में कभी किसी हत्या की जांच करने आएं लेकिन जब सरपंच साहब चुनाव का पर्चा दाखिल करने जाते है तो बकायदा भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उनकी ड्यूटी लगी होती है।
सीरीज में वॉइस ओवर में आपकी अपनी ग्राम पंचायत की कहानी बताने का दावा किया जाता है लेकिन ऐसा बाहुबली सरपंच हर ग्राम पंचायत में हो ऐसा हो शायद ही, ऐसे किरदार एक्सेप्शन (अपवाद) होते है तो यह किरदार देश की हर पंचायत के सरपंच से जुड़े ऐसा लगता नहीं। इसके अलावा सीरीज में चौपाल (बेगारी राजनीतिक बहस) एक चाय की टपरी में लगती है यदि आप गांव में रहते हो तो चर्चा हमेशा चाय की टपरी में नहीं कभी नाई की दुकान, बरगद के पेड़ के नीचे, बस स्टैंड अलग अलग जगहों में भी होती है लेकिन स्क्रीनप्ले लिखने वाले सज्जन की कल्पनाशीलता सिर्फ़ चाय की टपरी तक सीमित रही।
सरपंच की कहानी में सचिव का न होना ठीक वैसे ही है जैसे बिना नमक की सब्जी लेकिन ठीक है, ऐसी कोशिश होती रहनी चाहिए छोटे शहरों में ऐसे छोटे छोटे कदम ही बड़े द्वार खोलते है। IMDb में सीरीज को रेटिंग भर भरकर मिली है सीरीज को 10 में से 9.4 स्टार दिए गए है। जिसे लेकर शायद एक प्रकार से कई पैड (भुगतान) वाले आर्टिकल फ़िल्म के मेकर्स ने छपवाएं हो।
IMDb में इस सीरीज को पंचायत और दोपहिया जैसी सीरीज से अधिक रैंक मिलने का दावा किया गया है लेकिन मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं , IMDb में रैंकिंग आप और मेरे जैसे दर्शक ही करते है यदि 30 मेरे परिचित लोगों ने मेरी किसी सीरीज या फिल्म को 10 रेटिंग दे दी तो वह 10 ही दिखाएगी इसमें अधिक संख्या में लोगों द्वारा रेटिंग दिए जानें से IMDb की रेटिंग विश्वनीय मानी जाती है।
पंचायत की बात की जाए तो पंचायत को लेकर 1 लाख से अधिक लोगों ने IMDb में रेटिंग की हैं तो वही दोपहिया के लिए 5 हजार से कुछ अधिक लोगों ने। सरपंच साहब के लिए फ़िलहाल IMDb में 39 लोगों ने अपनी राय रखी है जो आगे जाकर शायद कुछ और अधिक बढ़ जाएं।
अरविंद साहू (AD) Freelance मनोरंजन एंटरटेनमेंट Content Writer हैं जो विभिन्न अखबारों पत्र पत्रिकाओं वेबसाइट के लिए लिखते है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी सक्रिय है, फिल्मी कलाकारों से फिल्मों की बात करते है। एशिया के पहले पत्रकारिता विश्वविद्यालय माखन लाल चतुर्वेदी के भोपाल कैम्पस के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के छात्र है।
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