मुंजा डराती कम हंसाती ज्यादा, जानें इस शुक्रवार रिलीज फ़िल्म मुंजा का रिव्यू!



एमपी नाउ डेस्क



MUNJYA FILM REVIEW: 2018 स्त्री मूवी से मैडॉक फिल्म्स का हॉरर कॉमेडी का शुरू हुआ सफ़र भेड़िया, रूही के बाद अब मुंजा तक आ पहुंचा हैं। शुक्रवार (7 जून 2024) को मैडॉक फिल्म्स की एक और हॉरर कॉमेडी जॉनर फ़िल्म मुंजा ने सिनेमाघरों में दस्तक दी है। मैडॉक फिल्म्स की इस नई फ़िल्म में पिछली फिल्मों के जैसे ही फिल्मी भूत डराता कम हंसाता ज्यादा है, तो फ़िल्म में आप यदि डर ढूंढने की कोशिश करोंगे तो एक आध बार आपकों कही ऐसा महसूस हो की आप फ़िल्म में डर रहें हो नही तो बाकि यह फ़िल्म सिर्फ़ हंसाने का काम ही करेंगी।

फिल्म मुंजा एक दंत कहानी से प्रेरित है, जहा छोटी उम्र का ब्राह्मण बालक अपने मुंडन के 10 दिन से पहले ही एक राक्षसी देवता की मूर्ति के सामने गलती से अपनी बहन की बलि देते वक्त मर जाता है जिस वजह से वह उसी पेड़ में ब्रह्मराक्षस की योनि में रहने लगता है, उसकी एक अंतिम इच्छा है उसकी उम्र से बड़ी मुन्नी नाम की लड़की से शादी करना जिसके लिए वह अपनी बहन की बलि देने से भी पीछे नहीं हटता बस अपनी उसी इच्छा की पूर्ति के लिए ब्रह्मराक्षस बना मुंजा गांव के लोगों और अपनी बहन के परिवार के सदस्यों को परेशान करता है और उन्हें मारता हैं।


इस दौरान दूर शहर में रहने वाला फ़िल्म का नायक अभय वर्मा जिसका नाम फ़िल्म में बिट्टू है उसे मुंजा के सपने आते रहते है, मुंजा को लगता है उसको मुन्नी से मिलाने का काम बिट्टू ही कर सकता है। जब बिट्टू मुन्नी से मुंजा को मिलाता है तो मुन्नी का एक पैर कब्र में लटका हुआ है, मतलब की मुन्नी बुड्ढी हो चुकी है अब मुंजा को मुन्नी के पोती एक्ट्रेस शरवरी वाघ जो फ़िल्म में नायिका का किरदार अदा कर रही है उसे शादी करनी है जो कि बिट्टू की दोस्त और बिट्टू का एकतरफा प्यार भी है।


अब इस अटपटे से लव ट्राइंगल जिसमें लड़की को कुछ पता ही नही है हो क्या रहा है, बस इसी भ्रम में फ़िल्म चलती रहती है। जिस प्रकार फ़िल्म में रात होते ही मुंजा नाम का भूत बिट्टू के कंधे में लटक जाता है और लोगों को लगता है बिट्टू स्मोकी और चरसी हो गया ठीक वैसे ही आपकों भी फ़िल्म देखने से पहले एक दो सुट्टे लगा ही लेना चाहिए की यदि आप फिल्म होश में देखने जाओगे तो आपका दिमाग कई सवाल फ़िल्म को लेकर खड़े करेगा, ऐसी फिल्मों के लिए दिमाग घर छोड़े उटपटांग हरकतों और संवादो से फ़िल्म में हंसे और घर आ जाएं।


फिल्म भूतिया कहानी के नाम पर सिर्फ़ हास्य फ़िल्म बनकर रह जाती है, और जब फ़िल्म में हास्य पैदा करना होता है तो उसमें कहानी या सेंस जैसी बातों के लिए जगह ही नहीं बचती, फ़िल्म में एक्ट्रेस शरवरी वाघ के लिए फ़िल्म में आखरी में आने वाले आइटम सॉन्ग "तरस नहीं आया" के अलावा कोई काम दिखा नही वही फिल्म के हीरो अभय वर्मा को उनकी व्यकित्व के जैसा ही अभिनय दिया है, जैसे वह रियल लाइफ में वैसे ही वह रील लाइफ में भी दिख रहे है।




फ़िल्म में कट्टपा यानी की सत्यराज भी एक छोटी सी भूमिका में है, जो फ़िल्म में हंसाने के लिए ही आते है। इसके अलावा मोना सिंह जैसी अभिनेत्री ने बिट्टू की मां का अभिनय अदा किया है,पर उनका किरदार फ़िल्म में ऐसा कुछ ख़ास कमाल करें जिसके लिए फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें जाना जाता है। वह इस फ़िल्म में नही दिखेगा।

आपके लिए रिव्यू लिखा है.. हर्षित अग्रवाल ने जो माखन लाल चतुर्वेदी विश्वविधालय से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के छात्र है।

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