एमपी नाउ डेस्क
Kalki 2898 AD FILM REVIEW: रिबेल स्टार प्रभास की मोस्ट अवेटेड फिल्म कल्कि ने सिनेमाघरों में आग लगाई हुई है, पर अभी भी कई ऐसे लोग है जिन्होंने फ़िल्म को नही देखा है और वह और लोगों की राय के आधार में फ़िल्म देखने की सोच में बैठे हुए है। ऐसे लोगों के लिए मैं कहना चाहूंगा प्रभास, दीपिका पादुकोण, अमिताभ बच्चन की यह फ़िल्म लोगों की राय के अनुसार अपना मन बनाने के लिए नही ख़ुद सिनेमाघरों में जाकर अपनी राय बनाने के लिए हैं। फिल्म को कोई अच्छा बोलेगा कोई बुरा परंतु यह ऐसी फिल्म में है, जो आपकों दिखाती है भारतीय सिनेमा उद्योग किस प्रकार निरंतर अपनी भव्यता की ओर अग्रसर है।
हॉलीवुड फिल्मों ड्यूएन, 'गार्जियन ऑफ द गैलेक्सी, एवेंजर्स जैसी मूवी के एक चौथाई बजट में तैयार कल्कि अपने प्रोडक्शन डिजाइन जैसे बेहतरीन आर्ट वर्क, कॉस्ट्यूम, मेकअप, प्रॉप्स का उपयोग इसके अतरिक्त अन्य मेगा बजट फिल्मों से कम बजट में बेहतरीन वीएफएक्स जैसे टेक्निकल काम का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करती है।
हॉलीवुड फिल्मों के शौकीन, साउथ का मसाला, मेथोलॉजी निर्देशक नाग अश्विन ने देश के अंदर सभी प्रकार के दर्शकों को फ़िल्म से जोड़ने की पूरी कोशिश की है। तीन घंटे से ज्यादा समय की यह मूवी अपने पहले पार्ट में फ़िल्म में मौजूद कैरेक्टर के परिचय का काम करती है। ऐसे में यह फ़िल्म आगे अपने कितने पार्ट तक जाती है, यह देखना रोचक होगा चुंकि फ़िल्म का दर्शकों का प्यार ही इसके निर्देशक और निर्माता को कहानी आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगा।
फिल्म की कहानी
फ़िल्म को हॉलीवुड फिल्मों की भांति फिल्माया गया है, पर भारतीय दर्शकों के लिए लेखक और फ़िल्म निर्देशक नाग अश्विन ने अपनी कहानी में भारत के पुराणों में वर्णित कहानी से स्टोरी आइडिया लेकर तैयार किया है।
जैसे की हिंदू पुराणों में वर्णित कहानी के अनुसार जब कलयुग अपने चरम में होगा तब श्रृष्टि के पालनहार हिंदू गॉड विष्णु अपना कल्कि अवतार लेंगे और कलयुग को समाप्त करने का काम करेंगे उसी कहानी से प्रेरित विषय इस फिल्म में दिखाया गया है।
दुनिया का आखरी शहर या पहला शहर काशी से शुरू हुई कहानी जहां बढ़ते कलयुग के प्रभाव से गंगा नदी का जल सुख चुका है। वह कुछ इंसानी प्रजाति के लोग खाने पीने की छोटी छोटी वस्तु के लिए तरसते है। वह एक ऐसी जगह है जहां स्वर्ग सी सब सुविधा मौजूद है, जिसका नाम कॉम्प्लेक्स है।
उस कॉम्प्लेक्स में जानें के लिए हर कोई मनुष्य तरसता है, परंतु वह कॉम्प्लेक्स फिल्म के मुख्य विलन कमल हासन (सुप्रीम यासकीन) का बनाया हुआ है। जहां एक अजीब चीज की रिसर्च चल रही होती है, उस रिसर्च के लिए महिलाओं की आवश्कता है, जो लंबे समय तक गर्भवती हो सकें चुंकि यह कलयुग के प्रभाव (भविष्य) की वह कहानी है, जिसमें महिलाओं में गर्भ धारण करने की क्षमता कमजोर हो चुकी है। इस बीच फ़िल्म में दीपिका पादुकोण (sum 80) एक ऐसी महिला है, जिसका गर्भ काफ़ी लंबे समय तक ठहर जाता है।
Sum 80 के इस गर्भ की रक्षा करने का जिम्मा अमिताभ बच्चन (अश्वथामा) के हाथों में है। जहां प्रभास (भैरवा) कॉम्प्लेक्स के अंदर जानें के लिए sum 80 को सुप्रीम यासकिन के पास लेकर जाना चाहता है तो वही अश्वथामा बने अमिताभ बच्चन sum 80 को बचाने में जुटे है। Sum 80 की वजह से पैदा यह संघर्ष किसे जीत दिलाता है, इसे तो आप पहली फ़िल्म में भी नही जान पाएंगे तो पहली फिल्म देखकर आपकों दुसरे पार्ट के इंतजार की उत्सुकता बढ़ जाएगी। इसके साथ ही फिल्म का पुरा मजा 3D स्कीन में देखने पर आएगा, कोशिश करें फ़िल्म 3D में देखने को मिले।
फ़िल्म में लंबी स्टारकास्ट और कैमियो
फिल्म की भव्यता का पता इस बात से आपकों लग जायेगा, निर्देशक ने फिल्म में एक लंबी स्टार कास्ट से काम लिया है, इसमें आपको दक्षिण भारत और हिंदी पट्टी के कई जानें माने चेहरे देखने को मिलने वाले है।
फ़िल्म में रामगोपाल वर्मा, एसएस राजमोली, ब्रम्हानंदम, विजय देवेनकोंडा, मृणाल ठाकुर, कीर्ति सुरेश (बुजी वॉइस) , दिशा पटानी, दुलकर सलमान, जैसे बड़े नाम देखने को मिलेंगे।
रिव्यू: हर्षित अग्रवाल
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