सौम्य सहज सरल सी दिखने वाली आलिया भट्ट से गंगू बाई जैसे बोल्ड कैरेक्टर करवाने का रिस्क, संजय भंसाली जैसा निर्देशक ही ले सकता है: गंगुबाई काठियावाड़ी रिव्यू



एमपी नाउ डेस्क



फिल्म रिव्यू: संजय लीला भंसाली बॉलीवुड फ़िल्मों में निर्देशन के क्षेत्र में में जाना पहचाना नाम है, उनकी फिल्में रिलीज से पहले ही अक्सर विवादों में घिर जाती है। संजय भंसाली बॉलीवुड में ऐसे निर्देशकों में शामिल है, जो ऐतिहासिक विषयों में अपनी कलात्मकता से भव्यता के साथ फिल्में दर्शकों के सामने प्रस्तुत करने के लिए मशहूर है। भंसाली की फिल्मों को लेकर फिल्मी दर्शकों में काफ़ी उत्सुकता रहती है। एक बार फिर संजय लीला भंसाली अपनी नई फिल्म गंगू बाई काठियावाड़ी को लेकर दर्शकों के सामने मौजूद है। फिल्म 25 फरवरी को सिनेमा  में दस्तक दे चुकी है। एस हुसैन जैदी के नोवल  ' माफिया क्वीन्स ऑफ मुम्बई' और रेड लाइट एरिया की मशहूर वैश्या गंगा हरजीवन दास (गंगू बाई काठियावाड़ी) के जीवन से प्रेरित है। फिल्म में दर्शकों के सामने एक ऐसी मासूम लड़की की कहानी को प्रस्तुत  किया गया है, जो फिल्मों में अभिनेत्री बनने का सपना लेकर मुंबई भाग जाती है,जिस व्यक्ति के साथ वहां भागती है, वह उसे एक कोठे में बेच देता है। उस रेडलाइट एरिया को अपनी क़िस्मत मानकर गंगा से गंगुबाई काठियावाड़ी बनने तक सफर और वहा की वेश्याओं की आवाज उठाकर रियल लाइफ अभिनेत्री बनने की कहानी फिल्म में दिखाई गई है। 
 
 संजय लीला भंसाली का उनकी फिल्मों को प्रतुस्त करने का तरीका आपको इस फिल्म में भी देखने को मिलेगा। बड़े -बड़े सेट, सीन की भव्यता अभिनेत्री का धासु नृत्य लोकेशन, सिनेमोटोग्राफी एक- एक सीन में बारीकी से काम किया गया है।यदि फिल्म की कहानी और कास्टिंग में संजय लीला भंसाली जोख़िम लेने की कोशिश नहीं करते तो शायद फ़िल्म एक बढ़िया फिल्म हो सकती थी।

फिल्म इतनी जल्दी ये दिखा देती है, जैसे गंगा हिरोइन नहीं गंगुबाई बनने के लिए ही मुंबई भाग कर आई है। फिल्म की कहानी के इमोशन से दर्शकों का कनेक्ट नही हो पाना भंसाली की नाकामी को दर्शाता है। भंसाली का फिल्म के दृश्यों को भव्य दिखाने की कोशिश में वह पूरी तरह कामयाब हो भी गए हो पर एक फिल्म के रूप में ये उनकी औसत फिल्मों के रूप में ही याद की जाएगी।  

फिल्म की सबसे बड़ी कमज़ोरी आलिया भट्ट का गंगुबाई के रूप में अभिनय के लिए चयन करना


 भंसाली अपनी फिल्मों में कास्टिग को लेकर प्रयोग करने के लिए जाने जाते है। गुजारिश में ऋतिक रोशन जैसे हैंडसम व्यक्ति को एक व्हील चेयर में बैठ व्यक्ति का अभिनय करवाने का जोख़िम, पहले भी ले चुके है। उनकी फिल्मों की कास्टिंग भी चर्चाओ में रहती है। शायद ये उनकी मार्केटिग रणनीति हो, पर इस फिल्म में आलिया भट्ट का चयन फिल्म रिलीज से पहले दर्शकों का ध्यान आकृष्ट तो करवा दिया। मगर फिल्म देखने के बाद शायद ही आप आलिया भट्ट को गंगुबाई के रूप में स्वीकार कर पाए। आलिया भट्ट का कम उम्र का चेहरा और मासूमियत गंगुबाई काठियावाड़ी के रूप में स्वीकार करना मुश्किल ही है।


अजय देवगन भी रहीम भाई के रोल में औसत नजर आए


अजय देवगन जैसा उम्दा कलाकार भी करीम लाला (फिल्म में रहीम भाई) के रूप में प्रभाव नहीं छोड़ते, अजय कई फिल्मों में एक गैंगस्टर का अभिनय निभाया है।मगर इस फिल्म में अजय देवगन रहीम भाई के रोल में औसत नजर आ रहे है। फिल्म में कैरेक्टर में छाप छोड़ते नजर आती है तो वह एक सीमा पाहवा और विजय राज है दोनो के करेक्टर फिल्म में डराते है।आलिया भट्ट के प्रेमी के रूप में शांतुनु महेश्वरी अपनी मासूमियत से प्रभावित करते है। ये शांतनु की बॉलीवुड डेब्यू फिल्म भी है।


फिल्म की कहानी और कास्टिंग को छोड़ दे, और आप संजय लीला भंसाली के भव्य सेट देखने के शौकीन हो तो आप एक बार फिल्म दे सकते हो, फिल्म याद रहे ऐसा कुछ फिल्म में देखने लायक आपको मिलेगा नही। फिर भी विजय राज का रजिया बाई का कैरेक्टर आपके जहन में लंबे समय  तक रह सकता है। फिल्म  का संगीत बढ़िया है। एक गाने को सिंगल टेक में फिल्माया गया है, प्रयोग बेहतरीन है। गाने की कोरियोग्राफी बेहतरीन है।


कास्ट: आलिया भट्ट, अजय देवगन, विजय राज, शांतुनू महेश्वरी, सीमा पाहवा, जिम सरम, इंदिरा तिवारी

निर्माता: जयंती लाल गड़ा

निर्देशक - संगीत : संजय लीला भंसाली 

सेंसर सर्टिफिकेट :U/A

इतना सब लिख ही दिए है रेटिंग खुद से ही कर ले।


 अरविंद साहू (एडी)
 7974243239

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