एमपी नाउ डेस्क
Hanuman movie review: सिनेमा समाज में इस कदर हावी हो गया है, कि इसमें दिखाये जा रहे दृश्य को कई दफा सच मान लिया जाता है। इसमें भी बालकों का मन ज्यादा ही सिनेमा से प्रभावित होता है। जब आप छोटे रहे होंगे तो कई बार फिल्मों टीवी सीरियलों में आने वाले सुपर हीरो जैसा बनने की सोच आई ही होगी। कुछ बच्चें तो ऐसे होते है, जो इसी पर्दे की दुनिया को सत्य मान लेते है उसमें से एक मैं भी हूं जब मैने बचपन में शक्तिमान से प्रभावित होकर छत में से छलांग लगाई थी हालांकि मुझे चोट नहीं आई फिर भी बचपन में ऐसे काम अक्सर हो ही जाते है।
बड़े होने में जब मुझे शक्तिमान का अभिनय करने वाले मुकेश खन्ना से मिलने का मौका मिला तब मेरे परिचित सहारा समय के रिपोर्टर ने उक्त घटना का जिक्र मुकेश खन्ना से किया तब मुझे मुकेश खन्ना ने बदमाश कहते हुए पेट में प्यार से उनका हाथ मारा था। इसका जिक्र इसलिए कर रहा हूं चूंकि कल जब सिनेमा हॉल में हनुमान मूवी देखा तो वह बचपन का दृश्य सामने आ गया।
फ़िल्म की शुरुआत में एक बच्चा सुपर हीरो बनने की कोशिश में लगा होता है, इसके लिए तमाम तरह की बचपने से भरी कोशिश करता है, कोशिश में अपने आप को चोटिल कर बैठता है।
चोट लगने के बाद जब उस बच्चें को उसके पैरेंट समझाते है, कि अच्छे कार्य करने वाला हर व्यक्ति सुपर हीरो होता है, फ़िल्म में दिखाई गई बातें नकली होती है पर उस बच्चें को यह बात समझ नही आती है वह सुपर हीरो बनने के चक्कर में कब सुपर विलन बन जाता है। यह देखने के लिए आपकों सिनेमा हॉल का रुख करना पड़ेगा।
फिल्म क्यों देखे!
फ़िल्म देखने की वजह अच्छे सिनेमा को प्रोत्साहन देने के लिए आपकों फिल्म देखनी चाहिए। फ़िल्म एक कम बजट में तैयार बेहतरीन वीएफएक्स दृश्य, एनिमेशन, बैकग्राउंड म्यूजिक का मिश्रण है।
फ़िल्म एक सन्देश देती है, ख़ासकर बच्चो को ऐसे सिनेमा को दिखाना चाहिए। फिल्म के हिंदी डब संस्करण में यह भी दिखाया है,कैसे आप बिना असभ्य भाषा के भी कॉमेडी पैदा कर सकते है।
फ़िल्म का माइथोलॉजिकल पाठ भी आज के दौर में आपके लिए गर्व महसूस करने का मौका देगा, सबसे बड़ी बात यह फ़िल्म आदिपुरुष जैसी फ़िल्म बनाने वाले निर्माताओं को समझाती है फ़िल्म कैसे बनाते है।
अरविंद साहू (AD) Freelance मनोरंजन एंटरटेनमेंट Content Writer हैं जो विभिन्न अखबारों पत्र पत्रिकाओं वेबसाइट के लिए लिखते है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी सक्रिय है, फिल्मी कलाकारों से फिल्मों की बात करते है। एशिया के पहले पत्रकारिता विश्वविद्यालय माखन लाल चतुर्वेदी के भोपाल कैम्पस के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के छात्र है।
1 Comments
Rohit Jha
ReplyDelete