ग्लानि की आग में बेहशी हत्यारे बने नायक की कहानी- कैप्टन मिलर फिल्म रिव्यू



एमपी नाउ डेस्क

CAPTAIN MILLER MOVIE REVIEW : साउथ सुपरस्टार धनुष की फिल्म कैप्टन मिलर सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फ़िल्म ऐसे समय में दर्शकों के सामने मौजूद है जब सिनेमा हॉल में दो अन्य मूवी मेरी क्रिसमस और हनुमान भी दिखाई जा रही है,ऐसे में दर्शक कैप्टन मिलर को क्यों देखने जाएं!



कैप्टन मिलर साउथ सिनेमा के पीक में एक अध्याय और जोड़ती है,ऐसा इसलिए क्योंकि साउथ फिल्मों के निर्देशक अपनी पहली फिल्म में दूसरे भाग के लिए दर्शकों के लिए एक सवाल छोड़ जाते है,जैसा टीवी सीरियलों में देखा गया है किसी विज्ञापन के आने के पूर्व टीवी सीरियलों में एक ऐसा दृश्य छोड़ दिया जाता है कि दर्शक आगे क्या होने वाला है वह छुटे न इसलिए पूरा विज्ञापन देख डालते है वैसा ही अब फिल्मों में भी किया जा रहा है।

अब मूवी में क्लाइमेक्स में काफ़ी हद तक ज्यादा जोर दिया जा रहा है जो दर्शकों को शुरू में होने वाली अरुचि को खत्म कर फिल्म के आखरी भाग में मंत्रमुग्ध वाली अनुभूति दे जाता है।

कहानी को द एंड करने वाली फिल्मों का दौर शायद अब धीरे धीरे खत्म होते जा रहा है अब कहानी के अंत में एक नई कहानी की शुरुआत और आगे क्या होगा दर्शकों के लिए प्रश्न छोड़ने वाले दौर की शुरुआत है।

कैप्टन मिलर भी इसी का पाठ है, फ़िल्म अंग्रेजो और राजा - महाराजाओं के दौर की पृष्ठभूमि में तैयार की गई है, जहा ऊंचा - नीचा की प्रवृति अंग्रेजो के जुल्मों को एक कहानी में बुना गया है।

ईसा(धनुष) नाम का युवक नीचे तबके की जाति से है,जहा वह अपने आस पास के लोगों के ऊपर रजवाड़ा शासन द्वारा जुर्म होते देख अंग्रेजो की सेना में भर्ती हो जाता है और उसे अंग्रेजो से नाम मिलता है मिलर। 

मिलर की कैप्टन मिलर बनने की कहानी में कब एक सीधा साधा व्यक्ति एक बेहेशी हत्यारा बन जाता है और जो अपने लोगों के लिए देशद्रोही है, कब वह ईश्वर का अवतार बन जाता है यह देखने के लिए आपको सिनेमा हॉल का रूख करना पड़ेगा।

फिल्म में नायक को नैतिकता के आधार में परखना छोड़ना होगा। अब फिल्मों में आपको नायक दिखेंगे जो नैतिकता से परे एक टॉक्सिक प्रवृति जैसे दिखने लगे है। जिनमें नायक जैसे गुण कम खलनायको की छवि विकसित की गई है। ऐसा कैप्टन मिलर के लिए भी है, जिसे वह फिल्म में अपने काम से दिखाता है साथ में खुद  से कहता भी है।


फिल्म देखन की वजह!

फ़िल्म देखने की एक बड़ी वजह अभिनेता धनुष और उसका अभिनय है, दूसरी वजह फ़िल्म का अंत एक बेहतरीन रोंगेटे खड़ा करने वाला क्लाइमेक्स है, फिल्म में मूवी का बैकग्राउंड म्यूजिक कहानी को प्रभावी बनाता है।

अरविंद साहू (AD) Freelance मनोरंजन एंटरटेनमेंट Content Writer हैं जो विभिन्न अखबारों पत्र पत्रिकाओं वेबसाइट के लिए लिखते है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी सक्रिय है, फिल्मी कलाकारों से फिल्मों की बात करते है। एशिया के पहले पत्रकारिता विश्वविद्यालय माखन लाल चतुर्वेदी के भोपाल कैम्पस के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के छात्र है।


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