टमाटर आखिर इतना महंगा क्यों हुआ, पेट्रोल से महंगा टमाटर !



एमपी नाउ डेस्क




राजनीति। देश में सबसे ज्यादा जिसकी चर्चा हो रही है वह है टमाटर ! सोशल मीडिया से लेकर डिजिटल मीडिया आम चौक- चौराहों में टमाटर पुराण की चर्चा मिल ही जायेगी.कौंडियों के दाम में किसानों की लागत भी न निकले इन दामों में बिकने वाला टमाटर आज बाजार में 100 रु से 150 रु किलो तक है. कई शहरों में टमाटर आज पेट्रोल के दाम से अधिक बिक रहा है. ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठना लाज़मी है. ऐसी क्या वजह है जो टमाटरों को इतना महंगा कर रही है.पिछले कुछ वर्षों में देखा जाए तो डेटा बताता है.. बीते तीन सालों से बारिश में टमाटर के दामों में बढ़ोतरी का ट्रेंड दिखा है. पिछले साल यानी 2022 के जून महीने में टमाटर के दाम 60-70 रुपए किलो तक पहुंच गए थे. इससे पहले 2021 में दाम 100 रुपए और 2020 में दाम 70-80 रुपए प्रति किलो के करीब पहुंच गए थे.इन टमाटरों के दाम बढ़ने के पीछे सबसे बड़ा कारण बारिश में खेतों में पानी भरने से टमाटर के पौधे खराब हो जाते जिस वजह से टमाटर को भी नुकसान पहुंचता है. हालाकि टमाटर उगाने के मामले में चीन के बाद भारत सबसे बड़ा उत्पादक देश है.परंतु भारत के भिन्न राज्यों जैसे मध्यप्रदेश, राजस्थान यूपी हरियाणा में बारिश ने टमाटर की फसलों को नुकसान पहुंचाया है. जिस वजह से टमाटर की आवक में भारी कमी आई है. कम आवक भारी डिमांड ने बरसात के मौसम में टमाटर के भाव बढ़ा दिए है.अब बारिश का मौसम है तो बारिश तो होगी चूक कहा हो रही है.क्योंकि अभी कुछ समय पूर्व टमाटर को सड़को में किसानों के द्वाराफेंका जा रहा था जो काफ़ी सुर्खियों में था. अब वही टमाटर 100- 150 रु किलो के भाव में बिक रहा है. इसकी बड़ी वजह मांग और आपूर्ति के आधार में खेती को लेकर कोई  बुनियादी ढांचा विकसित नही है.टमाटर को हर साल इसी मौसम में महंगा होने से रोकने वाला कोई इंतजाम कहीं नहीं सोचा गया है. देश में सब्जी को प्रोसेस करके आगे के मौसम के लिए संभाल कर रखने वाला इंतजाम तक अभी राज्यों में मजबूत नहीं है. भारत में आज भी कृषि उत्पादों का सिर्फ दस फीसदी हिस्सा ही प्रोसेस करके सुरक्षित रखने का इंतजाम देश में है. 2020-21 की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में कुल होने वाले फल का सिर्फ 4.5 फीसदी और सब्जियों का केवल 2.70 फीसदी हिस्सा ही प्रोसेस करके मुश्किल वक्त के लिए सुरक्षित रखने का इंतजाम देश में हो पाया है.जहां राजनीतिक पार्टी अपने स्वार्थ के लिए एक दूसरों को महंगाई और किसानों को उचित दाम न मिलने के आरोप प्रत्यारोप से अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने का कार्य करती है. उन्हे इन बातों से ऊपर उठकर कृषि उपज के उत्पादन आपूर्ति के बुनियादी ढांचे को कैसे मजबूत करें उसके लिए कार्य करने की आवश्कता होनी चाहिए

अरविंद साहू (AD) Freelance मनोरंजन एंटरटेनमेंट Content Writer हैं जो विभिन्न अखबारों पत्र पत्रिकाओं वेबसाइट के लिए लिखते है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी सक्रिय है, फिल्मी कलाकारों से फिल्मों की बात करते है। एशिया के पहले पत्रकारिता विश्वविद्यालय माखन लाल चतुर्वेदी के भोपाल कैम्पस के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के छात्र है।


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