ईश्वर बड़ा दयालु और कृपालु है, बस मनुष्य उसे समझ नहीं पाता



एमपी नाउ डेस्क

एक बार एक गांव में घनघोर वर्षा हुई. वर्षा की वजह से गांव में बाढ़ आ गई जिससे की गांव जलमग्न हो गया उसी गांव में एक निर्धन ब्राह्मण रहता था.उसका एक छोटा सा घर था जो की बाढ़ आने के बाद डूब गया. ब्राह्मण जैसे तैसे उस बाढ़ के पानी से बच गया और किसी प्रकार एक जंगल में पहुंच गया. जंगल में वह एक कुटिया बनाकर रहने लगा. कुछ समय बाद अचानक जंगल में आग लग गई. जिसमें उनकी बनाई कुटिया भी जल कर ख़ाक हो गई.मगर गरीब ब्राह्मण फिर उस आग में जलने से बच गया.अब ब्राह्मण काफ़ी ज्यादा निराश हो गया वह निराशा में चलते जा रहा था.अचानक उसे एक सुंदर नगर नज़र आया. वह जैसे ही उस नगर में पहुंचा उसे उस नगर के राजा मिले.राजा ने ब्रह्मण को एक अच्छा सुंदर मकान अपने नगर में रहने के लिए दे दिया.अब वह उस नगर के सुंदर मकान में रहने लगा. कुछ समय पश्चात् उस नगर में पड़ोसी राज्य के राजा ने आक्रमण कर दिया.आक्रमण में पड़ोसी राज्य के राजा ने उस नगर के राजा को परास्त कर दिया और उस नगर में अपना कब्ज़ा कर लिया.किसी ने पड़ोसी देश के राजा को सूचना दी. महाराज ये ब्रह्मण इस नगर के राजा का अतिप्रिय था. इसे राजा ने इतना सुंदर मकान रहने के लिए इस नगर में दिया था.पड़ोसी देश के राजा ने सोचा ये ब्राह्मण उस राजा का अतिप्रिय था ये मुझे नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए उसने उसे मृत्युदंड का आदेश दे दिया.राजा के आदेश के तालिमी के दिन अचानक एक सर्प आकर उस राजा को काट लेता है.राजा के उपचार के लिए सभी प्रयोग किए जाते है पर राजा की हालत में कोई फ़र्क नही पड़ता. उस ब्राह्मण को यह पता चलता है तो वह उसके सैनिकों से कहता है मुझे इसका उपचार पता है में राजा को ठीक कर सकता हूं. ब्राम्हण के उपचार के बाद वह राजा ठीक हो जाता है.राजा उसे उस राज्य का पुरोहित बना देता है.अब ब्राम्हण उस राज्य का राजपुरोहित बनकर बड़े वैभव के साथ अपनी जिंदगी जीते हुए, कुछ वर्षो बाद स्वर्ग सिधार गया. स्वर्ग में जब भगवान मिले तो भगवान ने उससे पूछा कुछ समझ आया. ब्राम्हण ने बोला नही प्रभु ! 

भगवान ने उसे कहा तुम मुझ से निरंतर प्रार्थना करते थे. और पूछते थे हे ईश्वर ! मेरी हालत ऐसी क्यूं . जब में तुम्हारी उस हालात को सुधारने के लिए कुछ करता था.तब भी तुम मुझे दोष देते रहते थे. 

वो कैसे प्रभु ! जब तुम गांव में रहा करते थे तुम्हें छोटे से घर में रहना पड़ता था जहा तुम्हे दिन - दिन तक खाना नसीब नहीं होता था.तुम मुझे प्रार्थना करते रहते थे. फिर तुम उस जंगल में पहुंचें जहां तुम्हें खाने के लिए रोज फल कंद मूल मिलने लगा तुम्हें भूखा नही रहना पड़ता था. फिर भी तुम संतुष्ट नहीं थे. तुम फिर प्रार्थना करते रहते थे. तुम्हे नगर में अच्छा मकान मिल गया. फिर भी तुम दुःखी थे. क्योंकि नगर में तुम्हें मकान मिला पर तुम अपनी ख्याति न प्राप्त होने को लेकर चिंतित रहकर प्रार्थना किया करते थे.फिर तुम्हें राजपुरोहित बनकर सब मिलने लगा फिर भी तुम मुझ से नाराज़ होकर मुझे दोष दिया करते थे.वह कैसे प्रभु! तुम भूल गए जब तुम्हारा गांव का घर बाढ़ में डूब गया कैसे तुम मुझ से नाराज़ होकर मुझे उसका दोष दिया करते थे.जब आग लगी जंगल में तब, उसके बाद जब पड़ोसी राजा ने तुम्हें बंधी बना लिया और तुम मुझ से किस प्रकार इन बातों की शिकायत करते रहते थे.एक बात और जान लो यदि तुम जंगल नही जाते तो तुम्हें उस सर्प के विष के उपचार का तरीका भी नही आता। ये भी मेरे अनुग्रह का एक हिस्सा था. जो तुमने उस राजा का उपचार किया था. ब्राम्हण को सारी बात समझ आ जाती है. कहानी का सार ही यही है.ऐसे ही संसार में रह रहे सभी मनुष्यों के साथ भी जीवन में निरंतर ऐसी घटना होती रहती है. जिसे वह समझ नही पाता और अपने जीवन में घटने वाली बुरी घटनाओं के लिए ईश्वर को दोष देने लगता है. जबकि ईश्वर इतना दयालु और कृपालु है। वह निरंतर आपके लिए बेहतर करने की कोशिश करता है. आपको इस काबिल बनाता है. की आप इस संसार में वह सब वस्तुओं का उपभोग कर सको जिसकी आपको इच्छा है।

अरविंद साहू (AD) Freelance मनोरंजन एंटरटेनमेंट Content Writer हैं जो विभिन्न अखबारों पत्र पत्रिकाओं वेबसाइट के लिए लिखते है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी सक्रिय है, फिल्मी कलाकारों से फिल्मों की बात करते है। एशिया के पहले पत्रकारिता विश्वविद्यालय माखन लाल चतुर्वेदी के भोपाल कैम्पस के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के छात्र है।

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