" मजदूरी से महापौर तक" क्या कांग्रेस के "पोस्टर बॉय" की भूमिका में होंगे "विक्रम अहके" !


एमपी नाउ डेस्क





राजनीतिक/टिप्पणी। काफी समय से कुछ लिखा नही, लिखा इसलिए भी नही व्यस्त था। मुझे हमेशा लगता है लिखने के लिए प्रेरणा की आवश्यकता होती है। ऐसे कोई विषय था भी नही जो मुझें लिखने में मजबूर करें। में अपने जिंदगी मे व्यस्त था वही दूसरी और मध्यप्रदेश की राजनीति में उबाल और राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं में  जोश और उतावला पन का मिश्रण नजर आ रहा था, बात भी कुछ ऐसी ही थी। मध्यप्रदेश में नगर निगम, निकाय, पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट से सभी पार्टियों के कार्यकर्ताओं में होड़ सी लगी हुई थी। वह अपने चहेते नेताओं और स्वयं के लिए चुनाव प्रत्याशी के रूप में दावेदारी में लगे हुए थे। 


चुनाव आयोग ने जैसे ही चुनावों की तारीखों की घोषणा की वैसे-वैसे तमाम पार्टियों ने अपने अपने प्रत्याशी घोषित करना चालू कर दिया। कई दावेदारों के बीच चुनें गए प्रत्यशियों में कुछ ऐसे नाम भी चुनाव मैदान में उतारे गए जिनकी राजनीतिक समझ और रुतबा अन्य दावेदारों की अपेक्षा नगण्य था, ऐसे ही एक उम्मीदवार की घोषणा से मीडिया समेत सभी राजनीतिक पंडित को अचंभित ही कर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने सभी को चौकाते हुए छिंदवाड़ा नगर निगम में कुछ आधा दर्जन दावेदारों के बीच मे से एक 30 वर्षीय युवक को कांग्रेस से महापौर प्रत्याशी के रूप में प्रस्तुत किया युवक का नाम था विक्रम अहके। जहाँ तक विक्रम की बात करें शायद ही छिंदवाड़ा नगर निगम क्षेत्र की जनता इस नाम से परिचित होगी।
 
छिंदवाड़ा नगर निगम क्षेत्र को इस नए नाम से परिचय करवाने का श्रेय स्थानीय मीडिया को जाता है, क्योकि शुरुआती दौर में विक्रम का परिचय एक हारे हुए व्यक्ति के रूप में की गई। सोशल मीडिया अखबारों  के माध्यम से काफ़ी प्रचार किया गया। ये जो प्रचार था वह नकारात्मक छवि गढ़ने के लिए पर्याप्त था। कांग्रेस ने अपना महापौर प्रत्याशी घोषित किया है, वह सरपंच चुनाव न जीत सका वह क्या महापौर चुनाव के लिए टक्कर देगा ? इससे कांग्रेस के अंदर और निगम क्षेत्र में इस तरह की बाते फैलनी शुरू हो गई कांग्रेस ने बिना लड़े ही समपर्ण कर दिया है!

इन सब बातों से इतर अपने कुछ दोस्तों के साथ ही बिना किसी ज्यादा तामझाम के विक्रम अहके अपने चुनाव प्रचार में लगा हुआ था। जहाँ तक कांग्रेस संघटन से भी उसे सहयोग नाम मात्र का था। व्यक्तिगत सम्बंध में लोगों और जनता से मिले जनसमर्थन ने उसके विश्वास को बढ़ाते गया। और आज वह कांग्रेस में एक "पोस्टर बॉय " की भूमिका में है।

 नगर निगम चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद नगर निगम पालिका छिंदवाड़ा परिणाम जो घोषित हुए  उसमे आश्चर्यजनक रूप से सामान्य परिवार का बेटा विजयी घोषित हुआ जी हाँ... सामान्य परिवार विक्रम अहके के पिता एक साधारण किसान है वही उनकी माता जी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में कार्यरत है। विक्रम के स्वयं की बात करें तो वह उस नगरपालिका क्षेत्र के महापौर बना है, जहाँ कभी उसके द्वारा मजूदरी भी की गई थी। छिंदवाड़ा नगर पालिका के क्षेत्र में कई नवनिर्मित मकानों में कभी उसके द्वारा नीव खोदने जैसे कार्य किये गए थे। छिंदवाड़ा जिले के ग्राम राजाखोह में कभी पंचर और चाय बेचने का कार्य करने वाले विक्रम के द्वारा चुनाव आयोग में अपनी कुल सपंत्ति तक़रीबन पांच लाख रुपये की आसपास बताई गई थी। जहाँ आज के समय में एक पार्षद चुनाव और सरपंच चुनाव में लाखों रु खर्च दिए जाते है। वही एक सामान्य सी युवा अवस्था मे विक्रम ने सीमित संसाधनों से छिंदवाड़ा महापौर का चुनाव जीत कर छिंदवाड़ा में ऐतिहासिक जीत दर्ज की है।



यह जीत कांग्रेस के लिए इसलिये भी महत्वपूर्ण है, कांग्रेस ने छिंदवाड़ा नगर पालिका और नगर निगम बनने के 18 साल बाद यह जीत का परचम लहराया है। कांग्रेस की इस जीत से ज्यादा चर्चा कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी की हो रही है। सोशल मीडिया से लेकर नेशनल मीडिया तक विक्रम अहके चर्चा का विषय बना हुआ है। वजह है उनकी कुछ फोटोज जो उनके पारम्परिक परिधान और सादगी का परिचय दे रही है। जहाँ कुछ फ़ोटो में विक्रम अहके जंगल से लकड़ी लाते नजर आ रहे है, वही कुछ फ़ोटो में पत्तों की प्लेट और कटोरी बना रहे है।




विक्रम अहके की जीत इतनी बड़ी मालूम पड़ती है कि स्वयं राहुल गांधी के साथ साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें बधाई प्रेषित की है। इसके साथ- साथ  सोशल मीडिया के तमाम बड़े डिजिटल प्लेटफॉर्म में उनकी फ़ोटो वायरल हो रही है। कांग्रेस जिस प्रकार विक्रम अहके की जीत को प्रचार प्रसार कर रही है। और कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व जिस प्रकार इस जीत का प्रचार कर रहा है आने वाले समय में " विक्रम अहके कांग्रेस के पोस्टर बॉय"  की भूमिका में हो सकते है!



विशेष: तक़रीबन 4 -5 साल पहले विक्रम और मेरा परिचय बस इतना है, कि दैनिक भास्कर छिंदवाड़ा कार्यालय के सामने कृति टाइपिंग में जब कुछ टाइपिंग करा रहा था, वह विक्रम किसी विज्ञप्ति की टाइपिंग करवाने आया हुआ था शायद उस समय वह जिला एन एस यू आई के किसी पद में कार्यरत था। किसी बात को लेकर जब उसने मुझ से बात करने की कोशिश की तब मेरा भाव हमेशा की तरह उसी प्रकार था जैसा अभी होता है। मैने उससे अनसुना या नज़रअंदाज किया था। उस समय कभी ऐसा महसूस हुआ ही नही विक्रम इस प्रकार एक "पोस्टर बॉय" की भूमिका में होगा। वक्त और समय कभी भी एक सा नही होता। आज विक्रम अहके की सफलता ने मुझें उसके बारे में लिखने के लिए मजबूर कर दिया। क्योंकि में हर उस व्यक्ति को सम्मान देने की कोशिश करता हूं, जो अपने संघर्ष के साथ जीवन मे कुछ हासिल करता है। और ये शायद विक्रम की पहली सीढ़ी हो यदि वह अभी तक जिस प्रकार इस पहली सीढ़ी के पास पहुँचा है। उस पहली सीढ़ी से लगी सीढ़ियों की ऊँची इमारत में उसका इंतजार हो रहा है चूँकि इमारत में बैठे व्यक्ति की नजर उसमें पड़ गई है।

एक बार पुनः............. जीवन के संघर्ष को दिशा देकर एक आदर्श प्रगतिशील सफलता के लिए शुभकामनाएं " विक्रमअहके" "पोस्ट बॉय"।


लेख : अरविंद साहू ( एडी ) 
 छात्र: एमसीयू भोपाल
Mo: 7974243239

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