कौन है, दोपर्दी मुर्मू ? भारत की 15 वी राष्ट्रपति बनना लगभग तय



एमपी नाउ डेस्क



राजनीति। आज देश को अपना पंद्रहवाँ राष्ट्रपति मिल जाएगा। इस पद के लिये यूपीए और एन डी ए ने क्रमशः यशवंत सिन्हा और दोपर्दी मुर्मू को अपना-अपना उम्मीदवार घोषित किया था। आज मतगणना के पश्चात लगभग दोपर्दी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना तय है। दोपर्दी मुर्मू भारत के इतिहास में दूसरी महिला होगी जो देश के सर्वोच्च पद में आसीन होगी। दोपर्दी मुर्मू के पूर्व प्रतिभा पाटिल ने देश में 12 वे राष्ट्रपति के रूप में सर्वप्रथम 2007 में शपथ ग्रहण की थी। 

दोपर्दी मुर्मू होगी, देश की पहली आदिवासी समाज राष्ट्रपति

राष्ट्रपति पद संभालते ही द्रौपदी मुर्मू एक और कीर्तमान अपने नाम करेंगी. देश के इस संवैधानिक पद पर कभी भी आदिवासी समुदाय का कोई नेता नहीं आ सका. द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी नेता हैं. देश को इस समुदाय से अभी तक न तो कोई प्रधानमंत्री मिला और न ही कोई राष्ट्रपति. अगर मुर्मू चुनाव जीत जाती हैं जो कि अब लगभग तय है। वह अपने नाम आदिवासी महिला राष्ट्रपति का कीर्तमान स्थापित करेंगी. बता दें कि मुर्मू इससे पहले 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं.



पार्षद से राष्ट्रपति तक का सफ़र

दोपर्दी मुर्मू एक शिक्षक के रूप में कार्यरत रही है, पर उनके नियति में एक बड़ा राजनेतिक हस्ती बनना ईश्वर ने सुनिश्चित किया था। 1997 में पहली बार एक पार्षद के रूप में राजनैतिक कैरियर के रूप में शुरुआत करने वाली दोपर्दी मुर्मू 3 साल बाद ही विधायक बन गई।द्रौपदी मुर्म झारखंड की ऐसी पहली राज्‍यपाल थीं जिन्‍होंने वर्ष 2000 में इस राज्‍य के गठन के बाद पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया। उन्‍होंने वर्ष 2015 से 2021 तक झारखंड के राज्‍यपाल का पद संभाला। पार्षद विधायक राज्यपाल अब भारत के सर्वोच्च पद में आसीन होने जा रही है दोपर्दी मुर्मू।

ऊपरबेड़ा से रायसीना तक का लंबा सफर किया आदिवासी महिला दोपर्दी मुर्मू

करीब 3500 लोगों की आबादी वाला ऊपरबेड़ा गांव ओड़िशा राज्य के मयूरभंज जिले के कुसुमी प्रखंड का हिस्सा है. ऊपरबेड़ा भारत के दूसरे गांवों-सा ही है,. यहां के लोगों की भी अपनी दिक्कतें-ज़रुरतें हैं. दूसरे गांवों की तरह यहां के बहुतायत लोगों की सुबह पौ फटने से पहले और रातें शाम ढलने के कुछ देर बाद ही शुरू हो जाती हैं. बस एक बात जो इसे दूसरे गांवों से अलग करती है, वह यह कि ऊपरबेड़ा में जन्मी द्रौपदी मुर्मू भारत की राष्ट्रपति बनने वाली हैं. 20 जून 1958 को जन्मी दोपर्दी मुर्मू एक शिक्षक के रूप अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, रायरंगपुर में सहायक प्रोफेसर और ओडिशा सरकार के सिंचाई विभाग में एक जूनियर सहायक के रूप में काम किया।मुर्मू 1997 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होकर कभी पीछे मुड़ कर नही देखा रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद के रूप में चुने के बाद मुर्मू 2000 में रायरंगपुर नगर पंचायत के अध्यक्ष बनी। उन्होंने भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। ओडिशा में भाजपा और बीजू जनता दल गठबंधन सरकार के दौरान, वह 6 मार्च, 2000 से 6 अगस्त, 2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्य मंत्री और 6 अगस्त, 2002 से मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री थीं। 2000 और 2004 में रायरंगपुर विधानसभा क्षेत्र से2007 में ओडिशा विधानसभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। द्रौपदी मुर्मू का जीवन संघर्षो से भरा हुआ था। कई व्यक्तिगत त्रासदियों का सामना करना पड़ा. 2009 से 2014 के बीच उन्होंने अपने पति, दो बेटों, मां और भाई को खो दिया. आज मतगणना पश्चात लगभग राष्ट्रपति के रूप में दोपर्दी मुर्मू नजर आएगी। पैतृक गाँव से लेकर उनके राज्य ओडिशा में पारम्परिक रूप से जश्न मानना शुरू हो चुका है।


अरविंद साहू
7974243239

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