रूपचौदस की पौराणिक मान्यता महिमा अपार, छोटी दीपावली नरकचतुर्दशी के नाम से भी है प्रचलित।



एमपी नाउ डेस्क




धर्म। दीपावली पर्व की शुरूआत हो चुकी है.पांच दिनों तक चलने वाले दीप पर्व को हिंदू धर्म का सबसे बड़े पर्व के रूप में मनाया जाता है. ऐसे में रूपचौदस का महत्व भी हिन्दू मान्यता के अनुसार अधिक है. दीपावली लक्ष्मी पूजा के ठीक एक दिन पहले कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि को रूपचौदस के रूप में मनाया जाता है. इसे छोटी दीपावली या नरकचतुर्दशी भी कहा जाता है। 



पौरणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण ने एक दैत्य नरकासुर को युद्ध मे पराजित किया था उसके पश्चात उसकी कैद में से सोलह हजार कन्याओं को मुक्त कराया था. उन्हें सम्मान स्वरूप अपनी रानियों का दर्जा दिया था। इसी अनुग्रह स्वरूप श्री कृष्ण की विजय के उपलक्ष्य में नरकचतुर्दशी मनायी जाती है।



 हिन्दू मान्यताओं के अनुसार देव विष्णु के अवतारो में एक है कृष्ण जिन्हें सुंदरता का भी देव कहा जाता है. ऐसी मान्यता है भगवान कृष्ण की आराधना से रूप सौंदर्य में निखार आता है. रूपचौदस के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करने और भगवान कृष्ण की आराधना से सौंदर्य प्राप्ति होती है। वही शाम को दीपक की रोशनी करने से यमराज प्रसन्न होते है. 


अन्य पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिक मास की चतुर्दशी में समुद्र मंथन से हिन्दू देवी काली का प्राकट्य हुआ था. देवी काली की पूजा निर्भयता अभय निडरता प्रदान करती है नरकचतुर्दशी के दिन देवी काली की पूजा का भी प्रचलन है।





प्रस्तुत लेख पौराणिक मान्यताओं कथा अनुसार एवं धर्म पंडितों से संवाद के बाद लिखा गया है।


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