इंसान जन्म से ही अभिनेता होता है।

एमपी नोट डेस्क

वीणा मेहता

छिंदवाड़ा । देश की ख्यातिलब्ध नाट्य संस्था नाट्यगंगा द्वारा आयोजित ऑनलाइन एक्टिंग की पाठशाला में प्रतिदिन पूरे देश से ऐसे रंग गुरूओं को आमंत्रित किया जा रहा है जिनसे प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए दुनिया भर के कलाकार लालायित रहते हैं। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में चयनित चुनिंदा कलाकारों को जिन महान गुरूओं के द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है अब वे नाट्यगंगा की पहल से छिंदवाड़ा के कलाकारों को घर बैठे प्रशिक्षित कर रहे हैं। इस ही कड़ी में कार्यशाला के आठवे दिन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की अभिनय की प्राध्यापिका श्रीमति वीणा मेहता ने बहुत ही अपनेपन के साथ अभिनय के आयामों से कलाकारों को परिचित करवाया। श्रीमति वीणा मेहता देश की प्रसिद्ध रंगकर्मी हैं। दिग्गज अभिनेताओं और रंगनिर्देशकों के साथ उन्होंने मंच और सिनेमा साझा किया है। सिर्फ यही नहीं उन्होंने वर्षों तक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में अध्यापन किया है। जहाँ आशीष विद्यार्थी, आशुतोष राणा, यशपाल शर्मा, राजपाल यादव, मुकेश तिवारी जैसे कलाकार इनके शिष्य रहे हैं। मुंबई में अध्यापन के दौरान जॉन अब्राहम, ईशा देओल, राहुल खन्ना जैसे अनेक सितारे भी इनके शिष्य रहे हैं। आज वीणा मैडम ने बताया कि अभिनय जन्मजात होता है। किसी बच्चे का झूठ बोलना, उसका नकल करना, हँसना, रोना आदि अभिनय ही है। पर कुछ लोग इसका प्रदर्शन कर पाते हैं, और कुछ इसे दबाना सीख जाते हैं। आज की क्लास में वीणा मेहता जी ने इतने अपनेपन के साथ ली कि कलाकारों को लगा ही नहीं कि वे क्लास में हैं उन्हें लगा कि वे अपनी माँ से कुछ सीख रहे हैं। इसलिए कार्यशाला की समाप्ति तक सभी कलाकार उन्हें अम्मा कहने लगे। आज आभार शेफाली शर्मा ने किया। आज कार्यशाला में 36 कलाकारों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। कार्यशाला के निर्देशक श्री पंकज सोनी, तकनीकि सहायक नीरज सैनी, मीडिया प्रभारी संजय औरंगाबादकर और मार्गदर्शक मंडल में श्री वसंत काशीकर, श्री जयंत देशमुख और श्री आनंद मिश्रा हैं। आज की मुख्य बातें-अभिनय के लिए अवलोकन, दृष्टिकोण और फोकस होना बहुत जरूरी है।भरतमुनि के अनुसार अभिनय के चार प्रमुख तत्व है- आंगिक, वाचिक, आहार्य और सात्विक रंगकर्मियों की क्या क्या जिम्मेदारियां होती हैं।  पात्र की भाषा, वेशभूषा और मेकअप कैसा होना चाहिए। पात्र का उच्चारण, भाव और रस आदि किन बातों पर निर्भर करता है।अभिनय करते समय हंसना, रोना, गुस्सा होना या अन्य भाव लेकर आने के लिए क्या करना चाहिए। रेडियो नाटक को रिकार्ड करने के लिए आवाज कैसी होनी चाहिए।
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