तीन महीने से लापता प्रयोगशाला सहायक "कलीराम उईके"और हैंडपंप टेक्नीशियन "व्ही एस रजक" , निकल रही हर महीने तन्खा।

एमपी नाउ डेस्क

अधिकारी और कर्मचारी अफसर रहते हैं नदारद


खाली पड़ी कुर्सियां दे रही गवाही घर बैठे ले रहे तनख्वाह , एसडीओ साहब मेहरबान

देर से आना और जल्दी जाना यहां बन गया है साहब का शगल…

अमरवाड़ा जनपद की कई पंचायतों की लापरवाही एवं पीएचई विभाग की अनदेखी से योजना ठप, पानी का संकट ग्रामीण जनता परेसान 


नल जल योजना से लेकर जनपद पंचायत के कई पंचायतों में योजना बदहाल हैंडपंप बन्द

छिंदवाड़ा - अमरवाड़ा कोराना वायरस के संक्रमण से बचाव के पीएचई विभाग के कर्मचारियों को सरकार ने हर संसाधन उपलब्ध कराए गए । लेकिन ऐसे में हैंडंपप सुधारकों और टेक्नीशियन प्रयोगशाला सहायक कर्मचारियों का लॉकडाउन में पता ही नहीं जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा अनदेखी की जा रही हैं।अमरवाड़ा जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाली कई ग्राम पंचायतों में गर्मी प्रारंभ होकर समाप्त की और है लेकिन पीएचई विभाग के अधिकारी कर्मचारी की लापरवाही का खामियाजा ग्रामीण जनता को भुगतना  पड़ रहा है कई ग्राम पंचायत में हैंडपंप सूखे पड़े हैं लेकिन अधिकारी की उदासीनता के कारण बिना कार्य किये सरकारी तनख्वाह घर बैठे ले रहे है । कई ग्राम पंचायतों में नल जल योजना सरपंचों की लापरवाही एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की अनदेखी से ठप पड़ी हुई है। ऐसे में अनेक पंचायतों में ग्रामीणों को पीने के पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है।अमरवाड़ा विधानसभा की कई ग्राम पंचायतों में ग्रामीण पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। वे समीप से जा रही पूरी तरह से सूखी मनियारी कुआ नदी तालाब में झिरिया बनाकर गहराई तक बाल्टी बर्तन गड़ा कर पानी निकालने की मशक्कत भरी गर्मी में कर रहे हैं।हजार की आबादी वाले इस कई गांव में सभी हैंडपंप बंद पड़े हैं तो नल जल योजना के तहत गांव में छह माह पूर्व चल रही पानी की आपूर्ति सरपंच की लापरवाही से बंद पड़ी है और पीएचई विभाग की घोर लापरवाही के कारण ग्रामीण जनता परेसानी का सामना कर रहे हैं । पीएचई के भृष्ट अधिकारी के द्वारा घर बैठे तनख्वाह ले रहे है पानी की समस्या से ग्रामीणों को निजात दिलाने की मांग की, कई बार पीएचई विभाग को करते है तो कोई कार्यवाही नही करते ।  पीएचई के भृष्ट अधिकारी के द्वारा गांव तक नही जाते और न ही  एसडीएम व कलेक्टर द्वारा कई ग्रामों की सुध तक नहीं ली गई । ग्रामीण पीने के पानी के लिए परेशान हैं। गांव के बच्चे व महिलाओं को मजबूरन तालाब कुआ नदी में बाल्टी, हुंडी व डिब्बे लेकर झिरिया बनाकर बूंद-बूंद पानी एकत्र कर छानकर घर लाना पड़ रहा है। झिरिया में दिन भर में ग्रामीणों को एक दो हुंडी पानी एकत्र हो पाता है।
वहीं पीएचई विभाग अमरवाड़ा के भृष्ट अधिकारियों के कारण कई गांव में जलस्तर गिर जाने से हैंडपंपों व ट्यूबवेलो में पानी की समस्या आ रही है।  ज्ञात हो कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा गर्मी चालू होने के पूर्व से लेकर समाप्त हो रही है लेकिन लाखों रुपए ग्रामीण क्षेत्र में हैंडपंपों में पाइप डालने बोर करवाने के साथ ही शीघ्रता से पानी समस्या दुरुस्त करने कर्मचारी लगाए जाते हैं, पर अधिकारियों कर्मचारियों की लापरवाही का परिणाम ग्रामीणों को हर साल गर्मी प्रारंभ होते ही भुगतना पड़ता है।लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद भी ग्राम वासियों को पानी की समस्या से निजात नहीं मिल पाई है, जिसकी जिम्मेदारी एकमात्र लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी पीएचई को जाती है।
   

   पीएचई विभाग द्वारा बरती जा रही घोर लापरवाही

सरकार ने लॉकडाउन पर अतिआवश्यक नल हैंडपंप के लिए अधिकारी की लॉकडाउन पर सेवा देना था लेकिन तीन से चार महीने बीतने के बाद भी पीएचई विभाग के अधिकारी कर्मचारी बिना कार्य किये तनख्वाह ले रहे हैं । ग्रीष्म काल में विभाग द्वारा विभाग के हैंडपंप टेक्निशन रजक एवं प्रयोगशाला सहायक जो कि लॉकडाउन लगने से पहले ही अपने कार्य से नदारद थे अभी तक विभाग में 3 माह से नहीं लौटे साथी उक्त अधिकारी संचित खेत्रपाल सहायक यंत्री द्वारा अभी तक इन पर कोई भी किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं की गई है और साथ ही पूरी तनख़ाह विभाग द्वारा दी जा रही है । ऐसे में ग्रीष्म काल के दौरान ग्राम के हैंडपंप बंद पड़े हुए है ।

खाली पड़ी कुर्सियां दे रही गवाही घर बैठे ले रहे तनख्वाह अधिकारी
देर से आना और जल्दी जाना यहां साहब का शगल बन गया है। *कहते हैं ना, “बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मियां सुभान अल्लाह…”।
क्या अधिकारी क्या कर्मचारी यहां कोई समय पर नहीं पहुंचता। हम बात कर रहे हैं अमरवाड़ा के पीएचई विभाग की , जहां अक्सर अधिकारी कर्मचारी नदारद रहते हैं। हकीकत जानने के लिए हमारे सवांददाता जब वहां पहुंचे तो खाली पड़ी कुर्सियां इस बात की गवाही दे रही थी, कि यहां लापरवाही, मनमानी और भर्राशाही का आलम है। बताते हैं यहां के SDO पर जिला मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का वरद हस्त है इसीलिए तो कहते हैं “जब सैंया भए कोतवाल, तो डर काहे का।”इसलिये तो SDO महोदय का आता पता ही नही कब आते कब निकल जाते है जनता होती है परेसान बिना कार्य किये घर बैठे अधिकारी कर्मचारी सरकार की तनख्वाह ले रहे है इन अधिकारी पर कब होगी कार्यवाही क्या ऐसा ही चलता रहेगा सिस्टम कब देगे ध्यान ।
अधिकारी-कर्मचारी मुख्यालय पर नहीं करते निवास , SDO साहब तो कब आते है कब चले जाते है वह तो भगवान ही जाने
पीएचई के चाहे सहायक यंत्री, उपयंत्री या हेल्पर हो कोई भी अपने मुख्यालय पर निवास नहीं करता। ऐसे में मजबूर होकर ग्रामीण उपयंत्रियों या लाइनमैनों के घर जा-जा कर खराब पड़े हुए हैंडपंपों को सुधारने की गुहार लगा रहे हैं। उनके कहे अनुसार अपने साधनों से सामान लाकर अपना काम छोड़कर हैंडपंप सुधरवा रहे हैं, लेकिन पीएचई कर्मचारी गांव वालों के पंचनामे पर हस्ताक्षर कराकर फर्जी बिल-बाउचर लगाकर रुपए निकाल लेते हैं। अधिकारी व कर्मचारियों द्वारा अपने मुख्यालय पर नहीं रहना कोई आजकल की बात नहीं हैं, बल्कि एक अरसे से ऐसा हो रहा है लेकिन जिले के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

इनका क्या कहना है

मेरे संज्ञान में यह मामला अभी आया है एसडीओ से बात कर मैं स्थिति स्पष्ट कर पाऊंगा

अरुण श्रीवास्तव ,अधीक्षण यंत्री पीएचई विभाग


मेरे सभी कर्मचारी ऑफिश में डेली आते है और फील्ड में काम करते है आप बताये कोंन सा हैंडपंप खराब है लोकेशन सहित बताये सुधारकार्य करवाया जाएगा।

संचित खेत्रपाल एसडीओ अमरवाड़ा



 अमरवाड़ा से सुदेश नागवंशी की रिपोर्ट


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